मंगलवार, 29 नवंबर 2016

नोटबंदी से राजनीतिज्ञों की उड़ चुकी है नींद

नोटबंदी का फायदा उठानेवाले नीतिशकुमार और अमरसिंघ की बात करते है। देश में नोटबंदी मामले एक जबरदस्त खेल शुरु हुआ है। इस मामले को लेकर राजनेता आपस में लडने भी लगे है। भारत बंद ऐलान के परिणाम शुन्य ही रहे और इसलिए विपक्षी नेताओं का दिमाग काम नहीं कर रहा। भारत खुला रहा, विपक्षों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया। अब समझना यह है कि यह आक्रोश सरकार के सामने था या जनता के सामने? सरकार तो नोटबंदी के मामले डटी रही है और विपक्ष को जनता का सहयोग नहीं मिल रहा।
नोटबंदी से आमजन या अर्थतंत्र को फायदा हो तब ठीक है लेकिन कईयों को इसके फायदे तत्काल मिलने भी लगे है। मोदी के कट्टर विरोधी ऐसे नीतिशकुमार ने नोटबंदी से इतना बडा फायदा उठाया कि, लालु यादव जैसे नेताओं की नींद उड गई। बड आश्चर्य के साथ नीतिश ने मोदी के इस फैसले को सराहा। 14 दिन में नीतिश ने चार बार सार्वजनिक रुप से मोदी सरकार को सराहा। विपक्ष के विरोध कार्यक्रम से भी कोसों दूर रहे। अमित शाह ने नीतिश कुमार के इस फैसले का स्वागत किया है।
इस खेल को देखकर लालु यादव की नींद उड चुकी है। नीतिश सरकार लालु यादव के समर्थन से चलती है। लालु खानदान नीतिश को काफी परेशान करती रहती है, लेकिन नीतिश ने नोटबंदी की आड में लालु यादव को चैन से सोने नहीं दिया। कल लालु दिल्ही गये...... सोनिया गांधी के शरण में !! सोनिया के समर्थन से नीतिश ने सरकार बनाई है और मोदी के नोटबंदी से सहमत है ! यह स्थिति राजद-कांग्रेस के लिए असह्य है, लेकिन समर्थन वापिस लेने की हिम्मत भी नहीं है। अगर नीतिश भाजपा के समर्थन से सरकार बना ले तो लालु-सोनिया के पास कुछ काम नहीं बचता।
नोटबंदी की आड का फायदा उठाने में नीतिश कामयाब हो गये। वही दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अमरसिंघ ने भी नोटबंदी के मुद्दे का जमकर फायदा उठाया। अखिलेश को अमरसिंह बिलकुल भी पसंद नहीं है। हाल ही में इस मुद्दे पर यादव खानदान में यादवास्थली जमी थी। नोटबंदी के सामने समाजवादी पार्टी गहरे जल में बैठी हुई है, लेकिन अमरसिंघ नीतिश बने.... और मोदी की खुल्लेआम सराहना की.... इतनी आक्रमकता के साथ तरफदारी की कि मोदी के लिए राज्यसभा के सांसद पद से इस्तीफा देने को भी तैयार हो गए !
अमरसिंघ के अति आक्रमक रवैये से अखिलेश-मुलायम की नींद उड गई है। अमरसिंघ के कट्टर विरोधी माने जाते अखिलेश खुद अमरसिंघ को समझाने गए..... और अमर भाई हंस दिए !
लालु-मुलायम दोनों समधी है, राजनीतिज्ञ भी है, लेकिन नोटबंदी की आड में खेले गए इस नाटक में दोनों एक जोकर बनकर रह गये है।
जय हिंद।

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