शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

रीता की मायावाणी

देश में राजनीतिज्ञों का स्तर नीचे उतरता जा रहा है और उनकी वाणी एकदम ही निम्न कक्षा की और नुक्कडछाप हो गई है ऐसी आम धारणा है। उ.प्र. कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने उ.प्र. की मुख्यमंत्री मायावती के बारे में जो टिप्पणीयां की उसके बाद यह बात एकदम सच लगती है।
सबसे पहले जानते है कौन है रीता बहुगुणा जोशी....?
रीता उ.प्र. के दिग्गज कायस्थ नेता माने जाते हेमवतीनंदन बहुगुणा की बेटी है। उ.प्र. के मुख्यमंत्री रह चुके बहुगुणा का १९८४ के लोकसभा चुनाव में अलाहाबाद बैठक से अमिताभ बच्चन के सामने हारने के बाद राजनीतिक करियर खत्म हो गया था। रीता की शादी एडवोकेट पूरनचंद्र जोशी के साथ हुई है लेकिन बहुगुणा का राजनीतिक विरासत बरकरार रखने के लिए उन्होंने अपने नाम के साथ बहुगुणा सरनेम जारी रखा है। रीता हाल में उ.प्र. कांग्रेस की अध्यक्ष है। हालांकि उनका राजनीतिक करियर ज्यादा प्रभावशाली नहीं है और वे कभी लोकसभा या विधानसभा का चुनाव नहीं जीती पाई। रीता अलाहाबाद की मेयर बनी यही उनकी श्रेष्ठ राजनीतिक सिध्धि है। रीता १९८४ में अलाहाबाद लोकसभा बैठक पर से भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के सामने हार गई थी जबकि २००८ में विधानसभा के चुनाव में एकदम तीसरे स्थान पर आई थी। २००९ की अंतिम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें लखनौ बैठक से भाजपा के लालजी टंडन के सामने टिकट दी, हालांकि रीता बुरी तरह से हारी थी। रीता २००८ में सलमान खुरशीद के स्थान पर उ.प्र. कांग्रेस अध्यक्ष बनी। विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के खराब परफोर्मन्स के कारण उन्हें हटाया गया। रीता की खुशनसीबी से कांग्रेस ने इसबार लोकसभा चुनाव में जोरदार परफोर्मन्स किया इसलिए उनका प्रमुख पद बरकरार रह पाया।
उ.प्र. में अभी गाजियाबाद में एक लडकी पर हुए दुष्कर्म का मामला चल रहा है। दुष्कर्म दिल दहला देनेवाली घटना है और दुष्कर्म की शिकार महिला का तो समग्र अस्तित्व छिन्नभिन्न हो जाता है लेकिन हमारे राजनेताओं में यह समझने की क्षमता ही नहीं होती और वे लोग हरेक बाबत में अपनी राजनीतिक खिचडी किस तरह पकाया जाये उसकी फिराक में ही होते है। गाजियाबाद के इस दुष्कर्म कांड में भी ऐसा ही हुआ और कांग्रेस सहित के तमाम मायावती विरोधी दल इस घटना का राजनीतिक फायदा उठा लेने के लिए मैदान में आ गए। सामने मायावती ने भी यह मामला ज्यादा ना चले इस हेतु से पानी सिर से ऊपर हो जाने के बाद कवायद शुरु की। राजनेता ऐसा मानते है कि कोई भी अपराध होने के बाद अपराध का शिकार बननेवाले का मुंह नोटों से भर दिया जाये तो वह सब भूल जायेंगे। मायावती ने भी यही किया और उन्होंने जो लडकी दुष्कर्म का शिकार हुई थी उसके परिवार के सामने रु. ७५ हजार का टुकडा फेंक दिया। मायावती ने जो किया वह सचमुच गलत है। वास्तव में तो दुष्कर्म करनेवाले हैवानों के सामने ताबडतोब केस चलाकर उन्हें सजा करनी चाहिए लेकिन ऐसी हिम्मत बहुत कम राजनेता दिखा सकते है। मायावती भी वह हिम्मत नहीं दिखा सकी और उन्होंने वही किया जो दूसरे राजनेता करते है।
मायावती के इस निर्णय के सामने कांग्रेस प्रमुख रीता बहुगुणा जोशी ने आपत्ति जताई है और उन्होंने मायावती को आडे हाथ लिया। रीता ने दुष्कर्म का शिकार बनी लडकियों के परिवारों को मायावती ने कब-कब नोटों की गड्डियां दी इसका इतिहास पेश किया। रीता ने दुष्कर्म पीडित लडकियों की इज्जत के बदले में नोट फेंकने की मायावती की मानसिकता की कडी आलोचना की वहां तक तो ठीक था लेकिन उसके बाद उन्होंने जोश में ही जोश में घोषणा कर दी कि अगर पैसे देने से किसी महिला की इज्जत वापिस आ सकती है तो मायावती खुद पर दुष्कर्म होने दे और वह खुद मायावती को इसके बदले में एक करोड रुपये देने को तैयार है। रीता ने जो अभद्र टिप्पणी की वह शर्मनाक है। रीता ने इस प्रकार की अत्यंत निम्न कक्षा की निंदा कर अपनी तुच्छ मानसिकता का प्रदर्शन किया है। दुष्कर्म जैसी घटना शर्मनाक है और किसी भी सभ्य समाज में इस प्रकार की घटना ही नहीं बननी चाहिए लेकिन इस प्रकार की घटना बने उसे किसी व्यक्ति के साथ खास तौर पर नहीं जोडा जा सकता। उ.प्र. की मुख्यमंत्री के तौर पर मायावती की खास नैतिक जिम्मेदारी है ही और उस जिम्मेदारी को निभाने में वे असफल रही है यह सच है लेकिन उसके कारण उन पर दुष्कर्म करने की बात अभद्रता की चरमसीमा ही है। मायावती बहुत जहरीली है और वह अगर मुस्लिमों के लिए जैसा तैसा बोलने वाले वरुण गांधी को राष्ट्रीय सुरक्षा धारा के तहत जेल में भेज सकती है तो खुद के सामने ऐसी बात करने वाली रीता बहुगुणा को छोडे ऐसा हो नहीं सकता। रीता ने बुधवार शाम को एक सार्वजनिक सभा में यह बकवास किया और माया मेमसाब ने आधी रात को रीता को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। रीता जल्दी न छुटे ऐसी कलम भी ठोक दी और १४ दिन के रिमान्ड मिल जाये ऐसा तख्ता भी तैयार कर दिया। माया मेमसाब को गुस्सा आ जाए तो फिर वह किसी की नहीं। मायावती इतना करे उसके बाद उनके चेले पीछे रह जाये ऐसा भला हो सकता है। रीता की आधी रात को गिरफ्तारी हुई और उसी समय माया के चेले रीटा के घर पर टूट पडे और उसमें आग लगा दी। इतने से बसपा के सदस्यों को संतोष नहीं मिला हो इसलिए उन्होंने संसद को भी सिर पर उठा लिया और कार्यवाही रोक दी। बसपा को धमाल मचाने के लिए जोरदार बहाना मिल गया है इसलिए यह खेल कितने दिन चलेगा पता नहीं। रीता के टिप्पणी के बदले में सोनिया गांधी ने खेद व्यक्त किया है लेकिन राजनेता ऐसी सब बातों को गंभीरता से नहीं लेते इसलिए यह तय है कि यह बवाल जल्दी खत्म नहीं होगा।
रीता ने जो कहा वह अक्षम्य है और मायावती हो या दूसरा कोई भी हो, इस प्रकार की टिप्पणीया नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस पूरी बात को दूसरे प्रकार से भी देखने की जरुरत है। रीता जो वाणी बोल रही है वह वास्तव में मायावती की ही देन है और राजनीति में इस प्रकार की अभद्र वाणी की बोलबाला बढी उसमें मायावती का योगदान बहुत बडा है। मायावती किस प्रकार की असंस्कारी और अभद्र वाणी अपने विरोधियों के लिए इस्तेमाल करती है अगर उसकी किताब खोलने बैठेंगे तो बहुत लंबी लिस्ट बन जाये। इसी मायावती ने ढाई साल पहले मुलायम के बारे में इसी प्रकार की अभद्र टिप्पणी की थी। जनवरी २००७ में एक मुस्लिम लडकी पर दुष्कर्म की घटना बनी उस वक्त मुलायम ने दुष्कर्म पीडित लडकी के परिवार को दो लाख रुपये की सहायता दी तब मायावती ने ऐसी टिप्पणी की थी कि मुलायम के घर की बेटी पर इस प्रकार दुष्कर्म होने दो, मुस्लिम उन्हें चार लाख देने को तैयार है। आज रीता ने वही बात कही तब मायावती बौखलाई है। हालांकि यह जरुरी नहीं कि, मायावती अभद्र वाणी कहे तो उसका जवाब देने के लिए दूसरे भी उसी तरीके का इस्तेमाल करे।
जय हिंद

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

sahi mein myawati kafi jehrili hai