शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2008

यह बडे ताज्जुब की बात है...


हमारे देश में मुस्लिम वोट बैंक के लिए राजनेता किसी भी हद तक गिर सकते है और ऐसी राजनीति ओर किसी देश में देखने नहीं मिलेगी। मुस्लिम मतों के लिए हमारे राजनेता जिस तरह मुसलमानों को खुश करने के प्रयास करते है ऐसा तो मुस्लिम देशों में भी नहीं होता होगा। और इसका ताजा उदाहरण समाजवादी पार्टी के नेता अमरसिंह ने दिल्ली में एन्काउन्टर में मारे गये दो आतंकवादियों के मौत के मामले शुरु की कोशिश है।
कौन है यह अमरसिंह ? चलिए, सबसे पहले जानते हैं अमरसिंह के बारे में।
अमरसिंह की करम कुंडली कुछ इस प्रकार है...
27 जनवरी 1956 के दिन उ.प्र. के अलीगढ में पैदा हुए अमरसिंह की परवरिश और पढाई कोलकाता में हुई। मध्यमवर्गीय राजपूत खानदान के अमरसिंह ने हिन्दी मीडियम में पढाई की और सेन्ट जेवीयर्स में से ग्रेजुएट हुए। कोलकाता में अपनी राजनैतिक करियर की शुरुआत करनेवाले अमरसिंह मूल कांग्रेसी है और बुराबझार जिला कांग्रेस समिति के मंत्री के रूप में इन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। अमरसिंह आज अरबोपतियों में से एक है और इसकी शुरुआत भी वे कांग्रेस में थे तब से हुई थी। कोलकाता में 1980 में उनकी मुलाकात कांग्रेसी नेता वीरबहादुर सिंह के साथ हुई और अमरसिंह ने इसका जमकर लाभ उठाया। 1985 में वीर बहादुर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने उसके बाद नये उद्यमियों को सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज पर राशि देनेवाली राशि संस्थाओं के साथ समझौते का काम सौंपा और मौके का फायदा अमरसिंह ने अपने बिजनेस को जमाने में किया। 1988 में वीरबहादुर बिदा हुए तब तक अमरसिंह करोडपति बन चुके थे। कांग्रेस में थे तब उनकी मुलाकात माधवराव सिंधिया से हुई। माधवराव 1990 में क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख पद से चुनाव लडे थे और उनके प्रतिद्वंदी जगमोहन दालमिया थे। उस वक्त अमरसिंह ने माधवराव को समर्थन दिया और माधवराव एक मत से जीत गये थे। इस अहेसान का बदला माधवराव ने उन्हें ओल इन्डिया कांग्रेस कमिटी में शामिल करवाकर चुकाया। 1990 में मुलायम सिंह यादव का उदय हुआ उसके साथ ही अमरसिंह ने उनके साथ अपने संबंधो को मजबूत बनाना शुरु किया और मुलायम ने जब नई पार्टी की रचना की तब वे मुलायम के साथ जुड गये। तब से अमरसिंह मुलायम के साथ ही है। अमरसिंह का व्यक्तित्व विवादास्पद है और वे सतत विवाद खडा करते रहते है। गुजरात के जमाई अमरसिंह का बॉलीवुड में जोरदार संपर्क है और बच्चन खानदान एवं अनिल अंबानी परिवार के साथ उनकी मित्रता चर्चास्पद है।
दिल्ली में आतंकवादियों ने सिरियल बम ब्लास्ट किये उसके बाद दिल्ली पुलिस जामियानगर में आतंकवादियों की खोज में गई थी और वहां आतंकवादियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरु कर दी और उसमें दो आतंकवादी मारे गए। मोहनचंद शर्मा नामक पुलिस के एक इन्स्पेक्टर भी शहीद हो गये। दूसरे दो आतंकवादी पकडे गये और अभी वे दोनों दिल्ली पुलिस की हिरासत में है। यह कहने की जरुरत नहीं कि, दिल्ली में मारे गए दो आतंकवादी और पकडे गये दोनों आतंकवादी मुस्लिम थे।
दिल्ली में जो एन्काउन्टर हुआ वो नकली था ऐसा हंगामा दंभी सांप्रदायिकों की जमात ने उसी दिन से शुरु कर दी थी। हमारे यहां कुछेक टीवी चैनल वाले भी इस जमात के दलाल के रूप में कार्य करते है और उन चैनलों ने कही से दो-चार लोगों को पकड कर कैमेरे के सामने खडा कर दिया और इन लोगों ने कह दिया कि एन्काउन्टर नकली था। चैनलों को ऐसा ही चाहिए था और उन्होंने राई का पहाड बना दिया। और इस हंगामे का लाभ उठा जामिया मिलिया के वाइस चान्सलर ने घोषणा कर दी कि जो दो आतंकवादी पकडे गये है उनके कानूनी सहाय का तमाम खर्च युनिवर्सिटी उठायेगी।
इस देश में राजनेताओं की एक ऐसी भी जमात है जो ऐसे मौके के इंतजार में पलक पांवडे बिछाये बैठी होती है। ऐसा कुछ हो तब इनके मुंह में मुस्लिम मतबैंक का शहद टपकने लगता है। टीवी चैनलों ने शुरु किया इसलिए यह राजनेता भी कूद पडे। मायावती इसमें सबसे आगे थी। मायावती मुस्लिम वोटों के लिए कुछ भी कर सकती है और इसलिए वे इसमें शामिल हो यह समझा जा सकता है लेकिन उनके पीछे-पीछे कुछेक कांग्रेसी भी इसमें शामिल हो गये। दिग्विजयसिंह, अर्जुनसिंह इत्यादि इस जमात के बेजोड नमूने है और उन्होंने यह झंडा उठा लिया। दिल्ली में कांग्रेस की सरकार है और दिल्ली में कानून-व्यवस्था बरकरार रखने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है इसके बावजूद यह कांग्रेसी अपना ड्रामा कर रहे है जो आघातजनक है।
मुलायम और अमरसिंह मुस्लिम वोटबैंक के राजनीतिक चैम्पियन है लेकिन फिलहाल उनकी पार्टी केन्द्र में कांग्रेस को समर्थन दे रही है इसलिए यह लोग खुलकर बाहर नहीं आते थे और अबु असीम आजमी जैसे टट्टुओं को आगे कर बाजी खेलते थे लेकिन कांग्रेसियों को खुलेआम उनकी सरकार के खिलाफ बोलते देखने के बाद कांग्रेस को अहेसास हुआ कि हम शर्म में रह गये और दूसरा इसका फायदा उठा गया। उन्होंने सोचा कि अभी बाजी हाथ से नहीं गई है ऐसा समझकर अभी बाकी रही कसर पूरी करना चाहते हो इस तरह लडाई शुरु कर दी। और इस लडाई के जुनून में अमरसिंह अपना विवेक भी भूल गये और एकदम गद्दारी की हद पर उतर आये है।
अमरसिंह ने जामियानगर के एन्काउन्टर को तो नकली कहा है उसके साथ मोहनचंद शर्मा की शहादत पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। पुलिस नकली एन्काउन्टर कर सकती है लेकिन क्या कोई पुलिसवाला ऐसे नकली एन्काउन्टर में अपनी जान दे सकता है ? और यह सवाल असली या नकली एन्काउन्टर का नहीं है लेकिन हमारे राजनेता कितनी हद तक गिर सकते है उसका सुबूत है। अमरसिंह की पार्टी इस देश की सरकार को समर्थन देती है और ऐसे लोग ही ऐसी बातें करते है यह बडे अफसोस की बात है। अमरसिंह को तो सामने मुस्लिम वोटबैंक दिख रही है इसलिए उन्हें वे क्या कह रहे है उसकी जरा सी भी परवाह नहीं है लेकिन जो लोग अपनी जान की बाजी लगाकर इस देश के लिए लड रहे है उन पर क्या बीत रही होगी इसका विचार करना चाहिए। अमरसिंह की बयानबाजी सुनने के बाद कौन पुलिसवाला आतंकवाद के खिलाफ लडने के लिए तैयार होगा ? आप अपने दो-पांच प्रतिशत मुस्लिम वोटबैंक के लिए एक जांबाज के शहादत की कीमत कोडी की कर दो तो इस देश के लिए लडने हेतु कौन आगे आयेगा। अमरसिंह के बयान पर इस देश में बैठे लोगों ने चुप्पी साधी है यह देख कर मुझे बहुत दु:ख हो रहा है। अमरसिंह ने तो इस मामले केन्द्र में से अपना समर्थन वापिस लेने की धमकी भी दे दी है। कांग्रेस के सत्यदेव चर्तुवेदी जैसे इके-दुके नेता अमरसिंह के इस ड्रामे पर बोले तो अमरसिंह ने बडी बदतमीजी के साथ चिरकूट जैसे विशेषणों का इस्तेमाल कर उनका अपमान किया इसके बाद भी कांग्रेसी दिग्गज चुप्पी साधे है। वास्तव में कांग्रेस को अपनी गर्जना सुनानी चाहिए और अमरसिंह को साफ शब्दों में कह देना चाहिए कि वे अपनी जुबान को लगाम दे और यह समर्थन वापिस लेने की धमकी बंद करे। दिल्ली में जामियानगर में जो हुआ वह नकली एन्काउन्टर नहीं था और इसकी नैतिक जिम्मेदारी कांग्रेस की है। कांग्रेस को इसकी जिम्मेदारी ले खुलेआम बाहर आना चाहिए और अमरसिंह को उसकी औकात बता देनी चाहिए। कांग्रेस को अमरसिंह जैसे लोगों को उसकी हेसियत का अहसास तो कराना ही चाहिए लेकिन इससे पहले जो लोग कांग्रेस में होने के बावजूद सरकार के साथ खडे रहने की जिनकी ताकत नहीं है उन्हें भगा देना चाहिए। जबकि कांग्रेस में यह नैतिक हिम्मत होती तो आज यह दिन देखना नहीं पडता। यह घटना कांग्रेस के लिए एक सबक है। आलम यह है कि गुजरात में हुए आतंकवादियों के एन्काउन्टर के मामले हंगामा मचाने वाली कांग्रेस को अभी अमरसिंह मंडली उनकी ही दवा का डोज उन्हें पीला रही है और कांग्रेस को यह एन्काउन्टर नकली नहीं था ऐसा कह अपना बचाव करना पड रहा है। इसे हम क्या कहें?

जय हिंद

2 टिप्‍पणियां:

navin ने कहा…

ik baar fir aapne aur aapke kalam ke dhar ne sachhai ko is mansik roop se vyathit ho gayi janta ke samne ubhaara hain...

aamar singh jo ki labh aur lalach ke vash main poori tarah doob gaye hain aur jo kuch vote ke liye kabhi bhi kuch bhi bol sakte hain ko janata dwara thokar mar dena chahiye....

kabhi kabhi dookh hota hain ki janta in bhediyon ke changul main kyon aati hain jab unke hath main ik vote karne ke power hain...

umeed rakhta hoon ki apke blog ke dwara janata ka in bhediyon se moh kam hoga ya door hoga aur hum ik sache , aktratit bharat ki fir se rachana kar sakenge...

Navin

manas bharadwaj ने कहा…

aaj pehli baar aapka blog padhaa .....or aap yakeen kariye main aapke blog ko aapki lekhni ko internet par hindi articles likhne waalon ki jamaat me bahut upar rakhtaa hoon .....................gajab ka flow hai aapke likhne me .....aap jo visay uthaa rahi hain woh bhi saamyik hai ji padhne ko or rochak bana detaa hai .............

likhte rahiye or kabhi samay mile to aap mere blog par bhi aaiyega
www.manasbharadwaj.blogspot.com

mujhe aaoki tuppani ka intajar rahega .